पीएमईजीपी में पारंपरिक कारीगरों के लिए आठवीं कक्षा तक शैक्षिक आवश्यकता की प्रवेश बाधा हटाने की सिफारिश

युगवार्ता    31-Mar-2025
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संसद का प्रतीकात्मक चित्र


नई दिल्ली, 31 मार्च (हि.स.)। राज्यसभा सांसद तिरुचि शिवा की अध्यक्षता में उद्योग पर विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के निष्पादन की समीक्षा से सम्बन्धित अपनी 328वीं रिपोर्ट संसद में पेश कर दी है। इसमें समिति ने पारंपरिक कारीगरों के लिए आठवीं कक्षा तक की शिक्षा संबंधी आवश्यकता की प्रवेश बाधा को हटाने की सिफारिश की है।

समिति ने कहा है कि नैनो श्रेणी के तहत आवेदकों को विशेष विशेषाधिकार या अतिरिक्त लाभ प्रदान किया जाए, क्योंकि 327वें प्रतिवेदन (2025-26) में पहले ही एक नई ' नैनो ' श्रेणी (मौजूदा सूक्ष्म, लघु या मध्यम श्रेणियों के अलावा) बनाने की सिफारिश की जा चुकी है। इसलिए पारंपरिक कारीगरों के लिए आठवीं कक्षा तक की शिक्षा संबंधी आवश्यकता की प्रवेश बाधा को हटा दिया जाए। तेजी से अनुमोदन की सुविधा और प्रक्रियागत देरी को कम करने के लिए एकल खिड़की मंजूरी प्रणाली लागू करें। अयोग्य आवेदकों को छांटने के लिए एक स्वचालित, मेन्यू-संचालित आवेदन प्रपत्र स्थापित करें। सेवा वितरण में सुधार के लिए पीएमईजीपी परिचालन में एआई प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की सिफारिश की गई है।

समिति ने सभी 22 अनुसूचित भाषाओं में पीएमईजीपी आवेदनों पर वास्तविक समय अपडेट प्रदान करने के लिए एक मोबाइल-आधारित अधिसूचना प्रणाली लागू करने की सिफारिश करते हुए कहा है कि लाभार्थियों के लिए फॉर्म सभी 22 अनुसूचित भाषाओं में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से उपलब्ध हों, यह सुनिश्चित किया जाए। प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और देरी को कम करने के लिए पूर्व निर्धारित राशि तक के ऋण आवेदनों के लिए स्व-प्रमाणन तंत्र को लागू करें। उद्यमियों के लिए क्षमता निर्माण पहल को मजबूत करने, उन्हें निरंतर सहायता प्रदान करने और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के सहयोग से डिजिटल साक्षरता, वित्तीय प्रबंधन और उद्यमिता पर प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित करने की सिफारिश की गई है।

इसमें डिजिटल कौशल कार्यक्रम शुरू करने पर जोर देते हुए कहा गया है कि रोजगार सृजन के लिए युवाओं और महिला कारीगरों पर विशेष ध्यान देते हुए मीडिया, कार्यशालाओं, जागरुकता शिविरों और सोशल मीडिया के माध्यम से जागरुकता बढ़ाई जाए। योजना की निरंतर निगरानी की जाए तथा पहचानी गई कमियों को दूर किया जाए। वास्तविक समय (रीयल टाइम) सहायता प्रदान करने के लिए एक समर्पित हेल्प डेस्क स्थापित करने और पीएमईजीपी योजना के अंतर्गत आउटपुट आधारित प्रशिक्षण एवं पात्रता प्रणाली की सिफारिश की गई है।

इसके अलावा आरबीआई के साथ मिलकर सभी बैंकों में एमएसएमई के लिए एक समान और सुव्यवस्थित ब्याज/मार्जिन दर स्थापित करने तथा मंत्रालय और बैंक आवेदकों को परियोजना रिपोर्ट तैयार करने और निधि प्रबंधन के लिए विस्तृत शैक्षिक सामग्री और प्रशिक्षण प्रदान करने का सुझाव दिया गया है। बैंकों के साथ-साथ निजी बैंकों को भी पीएमईजीपी को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना है तथा केवल लाभ कमाने के बजाय नागरिक कल्याण पर ध्यान केंद्रित करने तथा पूर्वोत्तर राज्यों में मार्जिन मनी और प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन आवंटित करने के लिए डेटा-संचालित फॉर्मूला की सिफारिश की गई है।

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हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव

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