नई दिल्ली, 16 फ़रवरी (हि.स.)। घरेलू शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की बिकवाली का सिलसिला थम नहीं रहा है। फरवरी के पहले दो सप्ताह में अभी तक विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से 21,272 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं। साल 2025 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक घरेलू शेयर बाजार में बिकवाली करके अभी तक 99,299 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। सिर्फ जनवरी के महीने में ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 78,027 करोड़ रुपये की निकासी की थी।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक साल 2025 में बिकवाली का दबाव जरूर बनाए हुए हैं, लेकिन इसके पहले 2024 में भारतीय शेयर बाजार में एफपीआई ने खरीद बिक्री मिलकर 427 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। इसी तरह 2023 में घरेलू शेयर बाजार में एफपीआई ने 1.71 लाख करोड़ रुपये डाले थे। दिलचस्प तथ्य ये है कि इस साल विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक शेयर बाजार में जहां सेलर बने हुए हैं, वहीं इस साल फरवरी के महीने में अभी तक वे बॉन्ड और डेट मार्केट में बायर की भूमिका निभा रहे हैं। इस महीने एफपीआई ने जनरल लिमिट के तहत बॉन्ड में 1,296 करोड़ रुपये और वॉलंटरी रिटेंशन रूट के जरिए 206 करोड़ रुपये डाले हैं।
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से स्टील और एल्यूमीनियम के इंपोर्ट पर नए टैरिफ लगाने का ऐलान करने और कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की बात कहने की वजह से ग्लोबल मार्केट में घबराहट का माहौल बना हुआ है। ग्लोबल ट्रेड वॉर की आशंका की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेदक अपने निवेश को सुरक्षित करने की कोशिश में लग गए हैं। यही वजह है कि एफपीआई द्वारा भारत समेत दुनिया के तमाम स्टॉक मार्केट्स में बिकवाली की जा रही है। धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी का मानना है कि इसी वैश्विक चिंता के कारण डॉलर इंडेक्स में भी तेजी आई हुई है, लेकिन जब डॉलर इंडेक्स में गिरावट आएगी, तो एफपीआई को भी अपनी चाल में बदलाव करना पड़ेगा। ऐसा होने पर विदेशी निवेशक एक बार फिर घरेलू शेयर बाजार में बायर की भूमिका में आ सकते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / योगिता पाठक