क्या आप भी मोटापा से परेशान हैं। और मोटापा को दूर करना चाहते हैं तो श्री अन्न अपनाएं। जब आप औषधीय गुणों से युक्त श्री अन्न और पत्तों के कषाय का सेवन करेंगे तो धीरे-धीरे प्राकृतिक रूप से आपका वजन कम होने लगेगा।
मोटापा आज एक वैश्विक महामारी का रूप ले चुका है। हाल में आई विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘वैश्विक मोटापा साल 1975 के मुकाबले आज तीन गुना बढ़ चुका है। दुनिया में आज 200 करोड़ से अधिक वयस्क लोग मोटापे या अधिक वजन होने की वजह से परेशान हैं। वहीं चार करोड़ से अधिक बच्चे मोटापे का शिकार हैं। अगर भारत की बात करें तो अकेले भारत में 135 मिलियन लोग मोटापा के शिकार हैं।’ विश्व में मोटापा के बढ़ते स्वरूप को लेकर वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन ने अपनी रिपोर्ट में शंका जाहिर की है, ‘अगर हमने अपने जीवन शैली और खान-पान पर नियंत्रण नहीं किया तो सन 2035 तक विश्व की आधी से अधिक जनसंख्या मोटापे की गिरफत में होगी।’
वस्तुत: मोटापा गलत जीवन शैली के कारण हमारे शरीर में उत्पन्न होता है। सामान्यतया जब किसी व्यक्ति के शरीर का वजन सामान्य (25बीएमआई) से अधिक हो जाता है तो उसे मोटापा कहते हैं। हम कैलोरी के रूप में जितनी मात्रा में रोज भोजन करते हैं, जब हमारा शरीर उसे उतनी मात्रा में रोज खर्च नहीं कर पाता है तो अतिरिक्त कैलोरी हमारे शरीर में चर्बी या फैट के रूप में जमा होने लगता है। और हमारे शरीर का वजन बढ़ने लगता है। अधिक चर्बी की वजह से व्यक्ति मोटापा का शिकार हो जाता है। मोटापा होने के तीन प्रमुख कारण हैं- गलत दिनचर्या, अस्वस्थ खान-पान और शरीरिक गतिशीलता में कमी। शरीर का वजन बढ़ने से शरीर में कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं। अधिक चर्बी से हमारे शरीर में हार्मोनल असंतुलन होता है और कोलेस्ट्राल की मात्रा बढ़ती है। इसके फलस्वरूप व्यक्ति रक्तचाप (बीपी) और मधुमेह का शिकार हो जाता है। जिसका असर हमारे हृदय और गुर्दे (किडनी) पर भी पड़ता है। मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति शारीरिक श्रम नहीं कर पाता। तेज चलने पर उसकी सांस फूलने लगती है। वह आलस्य का शिकार हो जाता है। नींद में जोर-जोर से खर्राटे लेना भी मोटापे के कारण ही होता है। और धीरे-धीरे व्यक्ति कई और बीमारियों के चपेट में आने लगता है। दूसरे शब्दों में कहें तो मोटापा कई बीमारियों की जननी है।
पहले मोटापे से पीड़ित लोग बहुत कम दिखाई पड़ते थे। इसका कारण था हमारा आहार और जीवनशैली। पहले हम श्री अन्न का भोजन करते थे उससे ग्लूकोज धीरे-धीरे हमारे रक्त में मिलता था। पहले हम शारीरिक श्रम अधिक करते थे। साथ ही ज्यादा पैदल चलते थे। इसलिए हमारे शरीर में भोजन के रूप में जो कैलोरी धीरे-धीरे जमा होती थी, वह पूरे दिन में खर्च हो जाती थी। आज स्थिति बदल गई है। आधुनिक और विकसित बनने की होड़ में हमने अपने आहार पद्धति और जीवन शैली का सत्यानाश कर दिया है। आज हमारे भोजन में कॉर्बोहाइड्रेट युक्त चावल और गेहूं की प्रधानता हो गई है। साथ ही चर्बी युक्त भोजन, फास्ट फूड, चीनी युक्त भोजन, मैदा युक्त बेकरी पदार्थ, आइसक्रीम, ठंडा पेय पदार्थ और डिबा बंद डेयरी प्रोडक्ट का सेवन अधिक हो गया है। हमारी जीवनशैली आरामदायक हो गई है। हमने शारीरिक श्रम करना बंद कर दिया है। यहां तक कि हम पैदल भी नहीं चलते। इसलिए आज हम जो भोजन कर रहे हैं, शारीरिक श्रम के अभाव में इन आहारों से जो ग्लूकोज उत्पन्न होता है वह चर्बी या फैट के रूप में हमारे शरीर में जम रहा है। परिणाम स्वरूप आज हम मोटापा का शिकार हो रहे हैं। इस समस्या का समाधान तो हम चाहते हैं लेकिन उचित जानकारी के अभाव में हम अपना वजन घटा नहीं पाते। अगर आप वाकई इस समस्या का समाधान चाहते हैं और प्राकृतिक रूप से मोटापा दूर करना चाहते हैं तो हमें अपना आहार बदलना होगा। तभी हम स्वस्थ रह सकते हैं।
अगर आप मोटापा को दूर भगाना चाहते हैं तो बाहर का भोजन बंद कर हमेशा घर का बना भोजन करें। प्रधान भोजन के रूप में कॉर्बोहाइड्रेट युक्त चावल और गेहूं के बदले श्री अन्न (कुटकी, कोदो, कांगणी, सांवा और मुरात) का सेवन करना चाहिए। श्री अन्न औषधीय गुणों से युक्त अनाज है। चीनी और मैदे से बने पदार्थ, मांसाहार, डिब्बा बंद डेयरी प्रोडक्ट और फास्टफूड आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। तले-भुने खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। मोटापा से मुक्ति के लिए पांचों श्री अन्न के अंबली का 6 से 9 सप्ताह तक रोज तीन बार सेवन करना चाहिए। इसमें कुटकी और कोदो का तीन-तीन दिन सेवन करना चाहिए। कांगणी, सांवा और मुरात का एक-एक दिन सेवन करना चाहिए। अंबली को आप दाल, सांभर, हरी सब्जी, चटनी, अचार, दही या छांछ आदि के साथ खा सकते हैं।
मिलेट मैन डॉ. खादर वली ने अपने शोध और निष्कर्षों के आधार पर जो प्रोटोकॉल तैयार किया है उसमें उन्होंने श्री अन्न के साथ काढ़ा/कषाय का सेवन अनिवार्य बताया है। मोटापा या वजन कम करने के लिए उन्होंने लोगों को सुबह खाली पेट हल्दी, कुशा, पीपल, खजूर, पान और जीरा के पत्ते का काढ़ा/ कषाय पीने की सलाह दी है। प्रत्येक पत्ते का काढ़ा/ कषाय एक-एक सप्ताह तक पीना है। फिर इस चक्र को दुहराना है। अगर जरूरत महसूस हो तो इस काढ़ा/कषाय में खजूर का गुड़ मिलाकर पी सकते हैं। इन पत्तों के काढ़े के सेवन से व्यक्ति के शरीर का अस्थि-मज्जा शुद्ध होता है। साथ ही शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति (इम्यून पावर) भी मजबूत होती है।
जब आप औषधीय गुणों से युक्त श्री अन्न और पत्तों के कषाय का सेवन करेंगे तो धीरे-धीरे प्राकृतिक रूप से आपका वजन कम होने लगेगा। इसके साथ-साथ ज्यादा से ज्यादा समय तक पैदल जरूर चलना चाहिए। डॉ. खादर वली का मानना है कि अगर आप छह महीने तक अपने आहार और दिनचर्या में बदलाव करेंगे तो आपका 10 से 15 किलो तक वजन कम हो सकता है।
“अगर आप छह महीने तक अपने आहार और दिनचर्या में बदलाव करेंगे तो आपका 10 से 15 किलो तक वजन कम हो सकता है। - डॉ. खादर वली”