योगी सरकार ने अपने शासनकाल में उत्तर प्रदेश में वास्तव में सुशासन स्थापित किया है। कानून व्यवस्था के लिहाज से यह काल याद किया जाएगा। क्योंकि योगीराज में एक भी दंगा नहीं हुआ। पूरे शासनकाल में एक भी दंगा नहीं होना बहुत बड़ी बात है। योगी सरकार से पहले के कालखंड को याद करें तो पाएंगे कि 2012-17 के बीच औसतन हर तीसरे-चौथे दिन एक बड़ा दंगा होता था। और उत्तर प्रदेश की पहचान अपराध प्रदेश के रूप में होती थी। पहले पेशेवर माफिया और अपराधी सत्ता के संरक्षण में दहशत फैलाते थे। दंगा एक प्रवृत्ति बन गई थी। योगी सरकार के कार्यकाल में इस पर लगाम लगी है। अब उत्तर प्रदेश की जनता भयमुक्त है और अपराधियों के मन में कानून का खौफ है। मुख्यमंत्री योगी ने भी कहा था अपराधी या तो जेल में होंगे या प्रदेश के बाहर। योगी सरकार की पुलिस अपराधियों, माफियों और दंगाइयों पर कहर बनकर टूटी है। जिससे उत्तर प्रदेश अपराध मुक्त, भयमुक्त एवं दंगामुक्त हुआ है। पुलिस ने सिर्फ मुख्तार अंसारी और खान मुबारक ही नहीं, बल्कि प्रदेश के दो दर्जन से अधिक बड़े माफिया को जेल में धकेल कर उनके नेटवर्क को ध्वस्त किया है। आलम यह है कि प्रदेश में पुलिस के डर से बड़े-बड़े अपराधी और माफिया प्रदेश छोड़कर या तो भाग गए या आत्मसमर्पण कर दिए हैं। खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने माफिया और अपराधियों के खिलाफ बिना किसी भेदभाव के कार्रवाई की है।
योगी सरकार में गैंगस्टर अधिनियम के अन्तर्गत अब तक 90 अरब 22 करोड़ 33 लाख की चल-अचल सम्पत्तियों का जब्तीकरण। इतना ही नहीं सरकार ने माफियाओं द्वारा अवैध ढंग से अर्जित की गई 2819 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। साथ ही माफियाओं के अवैध निर्माण को भी ध्वस्त कर दिया गया। अकेले अतीक अहमद के आपराधिक साम्राज्य के विरुद्ध गैंगेस्टर अधिनियम के तहत निरोधात्मक कार्रवाई करते हुए अवैध रूप से निर्मित कुल 11 अरब 69 करोड़ 20 लाख 4 हजार 350 रुपये की चल-अचल संपत्ति
जब्तीकरण / ध्वस्तीकरण / कुर्की की कार्यवाई की गयी है। योगी सरकार से पहले अपराधियों के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई किसी राज्य में नहीं हुई।
गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या के बाद यूपी के जेलों में बंद कुख्यात अपराधियों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू हो गयी है। राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने छोटे अपराधियों से लेकर गैंगस्टर से बाहुबली नेता बने माफियाओं के खिलाफ भी कार्रवाई करने के लिए योगी सरकार तैयार है। यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का ही नतीजा है कि प्रशासन ने पहले ही 65 माफियाओं की लिस्ट तैयार कर ली है। इनमें मुख्तार अंसारी, बृजेश कुमार सिंह, अखंड प्रताप सिंह, खान मुबारक सुधीर कुमार सिंह, सुंदर भाटी जैसे बड़े अपराधियों का नाम शामिल है।
राज्य में दहशत के पर्याय बने 183 अपराधियों का पुलिस मुठभेड़ में मारा जाना, 5048 अपराधियों का घायल होना, गैंगस्टर एक्ट में अब तक 63055 अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई और 836 अभियु
कानून व्यवस्था को मजबूती देने के लिए प्रदेश में पूरी पारदर्शिता के साथ 1.38 लाख पुलिसकर्मियों की नियुक्ति के साथ ही सभी 1535 थानों में महिला हेल्प डेस्क और 213 नए थानों का निर्माण हुआ है। लखनऊ, नोएडा, वाराणसी, कानपुर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लागू किया। भूमाफिया विरोधी टास्क फोर्स का गठन कर आरोपियों पर कार्रवाई की। साथ ही प्रदेश में महिला सशक्तिकरण के लिए ‘मिशन शक्ति’ अभियान चला रही योगी सरकार ने महिलाओं से जुड़े अपराधों पर तुरन्त कार्रवाई कर एक रिकॉर्ड बनाया है।
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि एक ईमानदार नेता की रही है। उनके पूरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार का एक भी धब्बा उन पर नहीं पड़ा। यही वजह है कि उनके शासन काल में भ्रष्टाचार मुक्त शासन हुआ। ईमानदार नेतृत्व की वजह से ही पिछली सरकारों द्वारा किये गए विभिन्न भ्रष्टाचार के मामलों जैसे गोमती रिवरफ्रंट, खनन, लैपटॉप घोटाला, आगरा एक्सप्रेस घोटाला इत्यादि की निष्पक्ष जांच हो पाई। इतना ही नहीं योगी सरकार में हुई एक भी भर्ती प्रक्रिया को रोकने के लिए न्यायालय का स्टे ऑर्डर नहीं मिला। जबकि पहले के सरकारों में भर्तियां इसलिए नहीं हुई कि भ्रष्टाचार की वजह से सरकारी भर्ती प्रक्रिया को न्यायालय द्वारा स्टे लगा दिया जाता था। 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में ट्रांसफर-पोस्टिंग एक बड़ा उद्योग हुआ करता था लेकिन योगी सरकार में इसके लिए किसी भी विभाग में लेन-देन नहीं हुआ। और यह संभव हुआ है योगी सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त शासन से। यह सुशासन का ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में निवेशक आ रहे हैं। सूबे की अर्थव्यवस्था छठे से दूसरे नंबर पर पहुंच गई है।और प्रदेश की अर्थव्यवस्था एक ट्रिलियन डॉलर की ओर चल पड़ी है।
अपराधियों पर नकेल
पुलिस कार्रवाई की संख्या - 10937
कार्रवाई में गिफ़तार अभियुक्तों की संख्या - 23355
पुलिस कार्रवाई में घायल अभियुक्तों की संख्या- 5048
पुलिस कार्रवाई में मारे गए अभियुक्तों की संख्या- 183
पुलिस कार्रवाई में घायल पुलिस कर्मियों की संख्या- 1443
शहीद हुए पुलिस कर्मियों की संख्या- 13
(नोट- यह आंकड़ा उत्तर प्रदेश पुलिस के अनुसार 20.03.2017 से 13.04.2023 तक का है।)