किसी भी देश की ऐतिहासिक धरोहरें सभ्यता और संस्कृति की जीवंत दस्तावेज होती हैं, जिन्हें देख-पढ़कर हम अतीत के अनछुए पहलुओं का आकलन कर सकते हैं। ऐसी ही धरोहरों में से एक है दिल्ली का लाल किला। बीते 10 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लाल किले पर जय हिंद लाइट एंड साउंड शो का उद्घाटन किया। इसमें 17वीं शताब्दी से लेकर आज तक के भारत के गौरवपूर्ण इतिहास और वीरता की एक झलक दिखाई जाएगी।
भारत ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध राष्ट्रों में से एक है। यहां की प्राचीन धरोहरें दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी ओर हमेशा से आकर्षित करती रही हैं। उन्हीं धरोहरों में से एक है दिल्ली का लाल किला। लाल किला देश एक प्रतिष्ठित स्मारक है, जो भारत की समृद्ध राजनीतिक विरासत, स्वतंत्रता और संप्रभुता का पर्याय है। 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा निर्मित यह किला परिसर भारत में सबसे बड़ा और सबसे भव्य है। यह हमारे देश के राजनीतिक इतिहास के परिवर्तनों से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है। लाल किला, दिल्ली के सबसे पुराने और व्यस्ततम बाज़ारों में से एक चांदनी चौक के पूर्वी छोर पर स्थित है। इस बाज़ार की उत्पत्ति शाहजहांनाबाद में हुई थी, जो शाहजहां द्वारा स्थापित एक नई राजधानी थी। वास्तव में लाल किले को इस राजधानी के केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था। इसे मुगलों के प्रमुख सत्ता केंद्र के रूप में बनाया गया था। किले और शहर की स्थापना, एक योजनाबद्ध तरीके से की गई थी और इसमें बेहतरीन वास्तुकार तथा सबसे चुनिंदा संसाधनों को नियोजित किया गया था।
लाइट एंड साउंड शो का आयोजन 17वीं सदी में बने स्मारक के ‘नौबत खाना’ के नजदीक किया जा रहा है। एक घंटे का यह कार्यक्रम तीन भागों में पेश किया जाता है। जिसमें भारत के इतिहास को तीन अहम बिंदुओं में बांटा गया है। इनमें मराठा साम्राज्य का उदय, 1857 का पहला स्वाधीनता संग्राम, आजाद हिंद फौज का गठन, उससे जुड़े मुकदमे, भारत की आजादी की लड़ाई और आजादी के बाद से अब तक 75 बरसों के देश की विकास गाथा जैसी चीजों को शामिल किया गया है। इस शो को लाल किले के मॉन्यूमेंट मित्र डालमिया भारत ने सभ्यता फाउंडेशन की मदद से तैयार किया है। शो में एक बार में लगभग 700 दर्शक हिस्सा ले सकते हैं। यह शो हिंदी व अंग्रेजी में दिखाया जाएगा। लाइट एंड साउंड प्रोग्राम की टिकट को दो कैटिगरी में बांटा गया है और टिकट की कीमत 500 व 1500 रुपये रखी गई है।
डालमिया भारत के प्रबंध निदेशक पुनीत डालमिया ने कहा, “जय हिंद एक विरासत स्थल पर लाइव एक्टर्स और हाई-टेक प्रोजेक्शन मैपिंग तकनीक का प्रदर्शन करने वाला अब तक का पहला साउंड और लाइट शो है।” यह शो भारत के इतिहास के प्रमुख एपिसोड को जीवंत करता है, जिसमें मुगलों के बीच सत्ता का संघर्ष, मराठों का उदय, 1857 का स्वतंत्रता संग्राम, भारतीय राष्ट्रीय सेना का उदय और आईएनए परीक्षण, स्वतंत्रता की लड़ाई और पिछले 75 वर्षों में भारत की निरंतर प्रगति को दिखाया गया हैं।
आजादी के अमृत महोत्सव पर लाल किले में 17 जनवरी से आम जमता के लिए लाइंट एंड साउंड जय हिंद को खोल दिया गया हैं। लाल किले में चल रहे इस शो में वृहद मंच पर प्रस्तुति के साथ कहानी में एनिमेशन, पुतलीकला और लेजर लाइटों का प्रभाव इसे और जीवंत कर देता है। दृश्यों के बीच बेहतरीन कलाकारों द्वारा उस दौर के नृत्य की प्रस्तुति मंत्रमुग्ध कर देती है। साथ में रंगीन रोशनी प्रस्तुति को और लुभावना बना देता है। दर्शकों के बीच से अचानक उस दौर के परिधान पहने लोग अचानक निकल आते हैं तो दृश्य और जीवंत बन जाता है।
लाल किला ऐतिहासिक धरोहर है, दिल्ली की बदलते बिगड़ते स्वरूप का गवाह और देशभक्तों के जज्बे की निशानी है। संगीत के सुरों से लेकर शमशीरों की खनक और तोपों की धमक से यहां की दीवारें गूंजी जरूर हैं लेकिन ढही नहीं, उसी शान से खड़ी दिल्ली की रीढ़ बनी रही। लालकिले का एक-एक प्रस्तर इतिहास का अभिलेख है। यहां घूमकर इसका इतिहास उतनी आसानी से नहीं जाना जा सकता था ऐसे में लाल किले की यह मूक संवाद करने वाली दीवारें और बोल उठी हैं वक्त की आवाज बनकर जो स्वयं इतिहास बांचती हैं। दिल्ली के चार सौ वर्षों का इतिहास जानना है तो एक बार फिर लाल किला जाइए। इस बार खामोशी नहीं, शान की खनक और बेबसी की चीखों से हकीकत बयां होगी।