प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई ऐसे कार्यों को अंजाम दे देते हैं, जो असंभव से लगता है। इसका सबसे ताजा उदाहरण विकसित भारत संकल्प यात्रा है। इसके तहत प्रधानमंत्री ने छोटे कर्मचारियों से लेकर उच्च अधिकारियों तक को देश के अंतिम व्यक्ति के दरवाजों पर पहुंचा दिया। वह भी एक-दो दिन के लिए नहीं। बल्कि पिछले ढाई महीनों से ये अधिकारी एवं कर्मचारी दरवाजे-दरवाजे घूम रहे हैं और सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों को दे रहे हैं। नतीजतन आमजन ‘मोदी की गारंटी’ को ‘मोदी ही गारंटी’ कहने लगे हैं।
महानगर मुंबई हो या पूर्वोत्तर के मणिपुर का सुदूर गांव। कश्मीर की पहाड़ी हो या फिर कन्याकुमारी के समुद्री तट पर स्थित गांव। हर जगह इन दिनों विकसित भारत संकल्प यात्रा का रथ पहुंच रहा है। इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी वाली गाड़ी के नाम से भी पुकारा जाने लगा है। इस संकल्प यात्रा ने देश के उस अंतिम व्यक्ति तक अपनी पहुंच बनाई है, जिसका पूरा जीवन सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के इंतजार में खत्म हो गया। लेकिन यह नया भारत है। जो पहले कभी नहीं हुआ, वह अब हो रहा है। किसी ने नहीं सोचा होगा कि कभी उसके दरवाजे पर सरकारी कर्मचारी-अधिकारी व जनप्रतिनिधि पहुंचकर योजनाओं का लाभ मिलने या न मिलने के बारे में पूछेंगे। आज ये लोग इनसे सिर्फ पूछ ही नहीं रहे हैं बल्कि जिन्हें लाभ नहीं मिल रहा है, उन्हें सरकारी आॅफिस का चक्कर कटवाने के बजाय योजनाओं का लाभ देने की कागजी कार्यवाही दरवाजे पर ही कर रहे हैं। इस यात्रा से सुदूर गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन होने वाला है।
पिछले साल बिरसा मुंडा की जयंती (15 नवंबर) यानी जनजाति गौरव दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश भर में विकसित भारत संकल्प यात्रा की शुरुआत की थी। यात्रा खूंटी, झारखंड के आदिवासी इलाके से शुरू हुई। इसके पीछे का मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाओं को शत-प्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचाना है। जिन्हें अभी तक किसी योजना का लाभ नहीं मिला है, उन्हें समयबद्ध तरीके से लाभान्वित किया जाए। इसके लिए यात्रा के दौरान ही उन लोगों से फॉर्म भरवाया जा रहा है। इसे देश के सभी ग्राम पंचायतों तक पहुंचने का लक्ष्य केंद्र सरकार ने रखा था। साथ ही यह यात्रा 25 जनवरी तक पूर्ण होना था। लेकिन अब आगे बढ़ा दिया गया है।
संकल्प यात्रा लगभग 2.7 लाख ग्राम पंचायतों एवं शहरी निकायों तक पहुंचकर आमजन एवं सरकार के बीच सेतु का काम कर रही है। कहा यह भी जा रहा है कि पहली बार केंद्र सरकार आमजन के दरवाजे तक पहुंच रही है। न केवल पहुंच रही है बल्कि उन लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ भी दे रही है, जिन्हें अभी तक किन्हीं वजहों से नहीं मिल पाया है। इसमें यह भी बताया गया है कि सभी नागरिक सरकारी योजनाओं के हकदार हैं। इन योजनाओं के लाभ, इससे कैसे जुड़े, कहां आवेदन करें? जैसे सभी सवालों का जवाब आमजन को उनके पंचायत में ही बताया जा रहा है। इस यात्रा पर प्रधानमंत्री कार्यालय सीधे नजर रख रही है। इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में एक डेस्क बनाया गया है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक सलाहकार पूरी यात्रा पर निगरानी रख रहे हैं। बताया जाता है कि रोजाना देश भर से आने वाली रिपोर्ट को अपलोड किया जाता है। प्रधानमंत्री इस रिपोर्ट को देखते हैं और अधिकारियों को निर्देशित करते हैं। केंद्र की ओर से सचिव स्तर के अधिकारी को राज्य प्रभारी बनाया गया है।
संकल्प यात्रा विभिन्न प्रदेशों में राज्य सरकारों की मदद से चल रही है। विभिन्न राज्यों में बनीं राज्य स्तरीय समिति की अध्यक्षता मुख्य सचिव करते हैं। इस समिति में संबंधित विभागों के सचिव को रखा गया हैं। इस यात्रा के लिए जिला स्तरीय समिति भी है। जिला स्तरीय समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी, इनके साथ सभी योजना से सम्बन्धित जिला स्तरीय अधिकारी, भारत सरकार के अधीन संस्था विभाग के 2 नामित सदस्य, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सदस्य सचिव, सहित अन्य अधिकारियों को शामिल किया गया है। सभी ग्राम पंचायत तक यात्रा को पहुंचाने के लिए 2500 वैन ग्रामीण इलाकों में तथा शहरी इलाकों में 250 वैन चलाये जा रहे हैं। राज्य स्तर पर संयुक्त सचिव, निदेशक, और उप सचिव को यात्रा में चल रहे वैन का ‘रथ प्रभारी’ नियुक्त किया गया है। सभी रथों के लिए नोडल अधिकारी भी बनाये गए हैं। इनका काम उन सभी लोगों को रजिस्टर करना है, जिन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है।
संकल्प यात्रा लगभग 2.7 लाख ग्राम पंचायतों एवं शहरी निकायों तक पहुंचकर आमजन एवं सरकार के बीच सेतु का काम कर रही है। पहली बार कोई केंद्र सरकार आम लोगों के दरवाजे तक न केवल पहुंच रही है बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी दे रही है, जिन्हें अभी तक किन्हीं वजहों से नहीं मिल पाया है।
विकसित भारत संकल्प यात्रा अब लगभग समापन की ओर है। यात्रा के दो महीने पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाभार्थियों से बात करते हुए कहा, ‘यात्रा में चलने वाला विकास रथ, विश्वास रथ है। इसे लोग अब गारंटी वाला रथ भी कह रहे हैं। लोगों को विश्वास है कि कोई भी योजनाओं के लाभ से नहीं छूटेगा। इसलिए जिन गांवों में ‘मोदी की गारंटी’ वाली गाड़ी अभी नहीं पहुंची है, वहां इसका बेसब्री से इंतजार हो रहा है। इसे बहुत बड़ा समर्थन मिला है। गांव-गांव से लोग कह रहे हैं कि मोदी की गारंटी वाली गाड़ी हमारे यहां आनी चाहिए। इसलिए लोगों की मांग पर 26 जनवरी तक चलने वाली यह यात्रा फरवरी महीने में भी चलाएंगे।‘ 15 जनवरी को यात्रा के दो महीना पूरा होने के बाद सरकार द्वारा जारी आंकड़ें से पता चलता है कि इससे अब तक 15 करोड़ लोग जुड़ चुके हैं। देश की लगभग 70-80 प्रतिशत पंचायतों तक ये यात्रा पहुंच चुकी है। शत प्रतिशत पंचायतों तक पहुंचाने के लिए इसे आगे भी जारी रखा जायेगा।
रिपोर्ट बताती है कि इस यात्रा के दौरान 4 करोड़ से ज्यादा लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है। ढाई करोड़ लोगों की टीबी की जांच हुई है। जनजातीय क्षेत्रों में 50 लाख से ज्यादा लोगों की सिकल सेल एनीमिया जांच की गई है। जनजातीय क्षेत्रों में अधिकांश लोग गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी समाज के हैं। इन लोगों तक डॉक्टरों को पहुंचाना पुरानी सरकारों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती रही है। जबकि इस सरकार ने प्रदेश सरकारों के साथ मिलकर जनजातीय क्षेत्रों में भी डॉक्टर को भेजा। मौके पर ही उनकी जांच हुई। शुरुआती जांच में यदि किसी व्यक्ति में कोई बीमारी दिखी तो उसे आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज दिया जा रहा है। यदि किसी का आयुष्मान कार्ड नहीं होता है तो उनका कार्ड के लिए तत्काल पंजीकरण करवाया जाता है। केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि इस यात्रा के दौरान 50 लाख से ज्यादा आयुष्मान कार्ड अभी तक बना दिए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 50 लाख से ज्यादा लोगों ने बीमा योजनाओं के लिए आवेदन किया है।
झारखंड के लोहरदगा जिले की एक आदिवासी महिला राजेश्वरी डांग बताती हैं, ‘कुछ दिनों पहले ही हमारे गांव में एक सजी-धजी गाड़ी आई थी। उसके साथ बहुत से लोग थे। गांव में हमलोगों का स्वास्थ्य जांच हुआ। मेरा आयुष्मान कार्ड नहीं बना था। आयुष्मान कार्ड के लिए हमसे फॉर्म भरवाया। मुझे बताया गया है कि कुछ दिनों में मेरा आयुष्मान कार्ड बन कर आ जायेगा। यह मुझे अच्छा लगा।’ केंद्र सरकार की ओर से हाल में जारी किये गए एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 33 लाख से ज्यादा नए लाभार्थी पीएम किसान योजना से जोड़े गए। 25 लाख से ज्यादा नए लाभार्थी किसान क्रेडिट कार्ड के जोड़े गए। 22 लाख से ज्यादा नए लाभार्थियों ने मुफ्त गैस कनेक्शन के लिए आवेदन किया है। 10 लाख से ज्यादा लोगों ने पीएम स्वनिधि का लाभ उठाने के लिए आवेदन दिया। केंद्र सरकार का यह प्रयास हर किसी को पोषण, स्वास्थ्य और इलाज की गारंटी देता है, जिसे मोदी की गारंटी कहा जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का प्रयास है कि हर परिवार को पक्का घर मिले, हर घर में गैस कनेक्शन, पानी, बिजली, शौचालय की सुविधा मिले। प्रधानमंत्री मोदी का यह भी मानना है कि हर किसी के पास बैंक अकाउंट हो और स्वरोजगार में आगे बढ़ने का अवसर हो।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्पष्ट कहना है कि सरकार देश की एक बहुत बड़ी आबादी को रोजमर्रा की छोटी-छोटी जरूरतों के लिए होने वाले संघर्ष से बाहर निकालना चाहती है। इसलिए हम गरीबों, किसानों, महिलाओं और युवाओं के भविष्य पर फोकस कर रहे हैं। यही हमारे लिए देश की सबसे बड़ी चार जातियां हैं। जब गरीब-किसान-महिलाएं और युवा, मेरी ये चार जातियां सशक्त हो जाएंगे तो हिन्दुस्तान स्वयं सशक्त हो जाएगा। इस संकल्प यात्रा के दौरान ही केंद्र सरकार की ओर से ‘नमो ड्रोन दीदी’ अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत सरकार ने तीन वर्षों में 2 करोड़ लखपति दीदी बनाने का काम शुरू किया है। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को रोजगार के नए साधन उपलब्ध कराने के लिए नमो ड्रोन दीदी एक अच्छा उदाहरण है। नमो ड्रोन दीदियों को 15 हजार ड्रोन उपलब्ध कराने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। ड्रोन उड़ाने के लिए महिलायों को प्रशिक्षण देने का कार्य शुरू किया गया है। अब तक एक हजार से ज्यादा नमो ड्रोन दीदियों का प्रशिक्षण पूरा हो गया है। इससे स्वयं सहायता समूहों की आय बढ़ेगी, उनकी आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, गांव की बहनों में एक नया आत्मविश्वास आयेगा। साथ ही यह किसानों के लिए भी बहुत मददगार सिद्ध होगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले 10 साल में वर्तमान सरकार ने एक पारदर्शी व्यवस्था बनाई है। इसका गंभीर प्रयास हो रहा है। जनभागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है। कई असंभव कार्यों को भी इस सरकार ने संभव कर दिखाया है। सरकार कैसे गरीबों के लिए काम कर रही है, इसे प्रधानमंत्री आवास योजना से भी समझा जा सकता है। पिछले 10 सालों में 4 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को अपना पक्का घर मिला है। इनमें से 70 प्रतिशत से ज्यादा घरों की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम हुई है। यानी अब इन घरों की मालकिन महिलाएं बन रही हैं। सिर्फ यही नहीं केंद्र सरकार की अन्य योजनाएं भी गरीबी से बाहर निकालने के साथ-साथ महिलाओं को सशक्त करने में मदद कर रही है।