सेमीकंडक्टर से लेकर एआई तक और क्वांटम कम्प्यूटिंग से लेकर यूक्रेन तक सभी विषयों पर इस दौरे में बात हुई, समझौते हुए। रिर्पोट्स की अगर मानें तो यह यात्रा भारत के लिए एक सफल यात्रा के रूप में जाना जाएगा। भारत की अर्थव्यवस्था के लिए भी यह मील का पत्थर साबित होगा।
एआई, क्वांटम कम्प्यूटिंग सेमीकंडक्टर और यूक्रेन, ये विषय अमेरिका में मोदी की यात्रा के अहम बिंदु थे। इन सबके साथ क्वाड नेताओं की बैठक में हिस्सा लेना और प्रवासी भारतीयों को संबोधित करना भी अहम था। इस तीन दिवसीय यात्रा में प्रधानमंत्री ने उन सभी महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम देने की कोशिश की, जिससे देश कई स्तरों पर विकास कर सके। प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भविष्य के शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। क्वाड शिखर सम्मेलन के दौरान जापानी और आस्ट्रेलियाई समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की 'शांति, स्थिरता और समृद्धि; के लिए द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने पर चर्चा की। 20 सितंबर को प्रधानमंत्री अमेरिका पहुंचे, जहां उन्होंने सबसे पहले विलमिंगटन, डेलावेयर में क्वाड नेताओं की बैठक में हिस्सा लिया। उसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ द्विपक्षीय बैठक की। बाइडन के साथ द्विपक्षीय बैठक में सबसे महत्वपूर्ण भारत को 297 पुरावशेषों की वापसी रही। इनमें से कुछ को बैठक के दौरान राष्ट्रपति बाइडन के आवास पर प्रदर्शित किए गए थे। भारत ने अमेरिका को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सर्वाइकल कैंसर से निपटने के लिए 75 लाख अमेरीकी डॉलर देने का संकल्प लिया। सर्वाइकल कैंसर को लेकर प्रधानमंत्री ने पहले भी चिंता जाहिर की थी। इसे उसी कड़ी में उठाया गया पहला कदम भी कह सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान न्यूयॉर्क के नासाउ कोलिजीयम में संबोधन के दौरान भारत को ;अवसरों की भूमि; बताया। साथ ही उन्होंने अपने भाषण में यह घोषणा की कि भारत बोस्टन और लॉस एंजिल्स में दो नए वाणिज्य दूतावास खोलेगा। यह इन दो बड़े अमेरिकी शहरों में तेजी से बढ़ते भारतीय अमेरिकी समुदाय की लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करेगा। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि 60 साल में पहली बार भारत के लोगों ने ऐसा जनादेश दिया है जिसका बहुत महत्व है। अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान मुझे बहुत महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करने हैं। हमें तीन गुना ताकत के साथ आगे बढ़ना है। मोदी ने कहा कि उन्होंने अपना जीवन सुशासन और समृद्ध भारत के लिए समर्पित कर दिया है। नियति उन्हें राजनीति में लेकर आई है। कभी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बनने के बारे में नहीं सोचा था। उन्होंने कहा कि पिछले 10 सालों में लोगों ने शासन के इस मॉडल को देखा है और इसलिए उन्हें तीसरी बार सत्ता में लाने के लिए वोट दिया है। भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत करने में भारतीय-अमेरिकियों की भूमिका की सराहना करते हुए
मोदी ने उन्हें भारत का ‘ब्रैंड एंबेसडर’ बताया। उन्होंने संस्कृत के एक श्लोक का उल्लेख किया और कहा कि भारतीय प्रवासी जहां कहीं भी रहते हैं, वे हर क्षेत्र में सामाजिक और राष्ट्र के विकास में योगदान देते हैं।
‘अमेरिका-इंडिया’ भावना भी है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कोई तमिल बोलता है, कोई तेलुगु, कोई मलयालम, कोई कन्नड़ तो कोई पंजाबी और कोई गुजराती या मराठी बोलता है। भाषा अनेक हैं लेकिन भाव एक है और वह भाव है भारतीयता। दुनिया के साथ जुड़ने के लिए ये हमारा सबसे बड़ा सामर्थ्य है। यही मूल्य हमें सहज रूप से विश्व-बंधु बनाते हैं।’बहरहाल, भारत अमरीका संबंध अब कुछ नई कहानी कह रहा है। अमेरिका की मजबूरी है या भारत उसकी जरूरत ये तो कहना कठिन होगा। लेकिन एक बात तो जरूर है कि जिस तरह से चीन अमेरिका से ही मदद लेकर उसे ही आंख दिखा रहा है। ऐसी स्थिति में भारत की तरफ अमेरिका का प्रेम उमड़ना स्वाभाविक है। रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध। श्रीलंका और बांग्लादेश की नाजुक स्थिति। फिलहाल भारत ऐसी स्थिति में है कि वह इस नाजुक परिस्थिति में विश्व को दो बड़े संकटों से निकाल सकता है। एक तो युद्ध और दूसरा आर्थिक मंदी। अमेरिका इस बात को बखूबी समझ रहा है। रूस और यूरोप भी समझ रहा है। अब देखना यह है
कि भारत इन सबके बीच से कैसे मोदी के नेतृत्व में विश्व का नेतृत्व करता है।
प्रमुख बिंदु
- क्वाड के जरिए चीन को घेरने की रणनीति। आस्ट्रेलिया संग स्पेस पर बात
- जापान से निवेश, दोनों देशों ने 5 ट्रिलियन येन को निवेश प्रोग्राम के तहत आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर विचार किया।
- प्रधानमंत्री मोदी और प्रेजिडेंट बाइडन ने रक्षा और सैन्य भागीदारी को मजबूत करने समेत कई पहलुओं पर बात की।
- बाइडन ने अमेरिकी रक्षा कंपनी जनरल एटॉमिक्स से 31 एमक्यू-9बी ड्रोन की खरीद को अंतिम रूप देने में हुई प्रगति का स्वागत किया।
- डिफेंस सेक्टर से लेकर भारत में एक ऐसा प्लांट लगाने की तैयारी हो रही है, जिसमें तैयार होने वाला सेमीकंडक्टर अमेरिकी सेना के भी काम आ सकता है।
- इजराइल-फिलिस्तीन युद्ध में भी निभा सकते हैं महत्वपूर्ण भूमिका। फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ द्विपक्षीय बैठक की।
- प्रधानमंत्री मोदी ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कैंसर की जांच और निदान के लिए 75 लाख अमरीकी डॉलर के अनुदान की घोषणा की। कैंसर की रोकथाम के लिए रेडियोथेरेपी उपचार और क्षमता निर्माण के लिए सहायता प्रदान करेगा।
- अमेरिका की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री ने यूएनजीए में ‘भविष्य के शिखर सम्मेलन’ के दौरान जेलेंस्की से मुलाकात की। युद्ध से शांति की तरफ बढ़ता कदम।
- अमेरिका ने 297 पुरानी कलाकृतियां लौटाई। 2014 से अब तक भारत को कुल 640 प्राचीन वस्तुएं वापस मिली है, जिनमें से अकेले अमेरिका ने 578 वस्तुएं लौटाई है।
शांति के प्रयास को राष्ट्रपति जेलेंस्की ने सराहा
प्रधानमंत्री मोदी के शांति के प्रयास को अब पूरी दुनिया सराह रही है। राष्ट्रपति पुतिन के सामने कई बार
प्रधानमंत्री मोदी ने साफ शब्दों में कहा है कि यह युद्ध का समय नहीं है। रूस, यूक्रेन और अमेरिका का इतने
कम समय में दौरा करने वाले पहले राष्ट्राध्यक्ष हैं। अपने हर दौरे में मोदी ने शांति की अपील की है। इस बात
की सराहना जेलेंस्की ने भी की। मोदी और जेलेंस्की ने न्यूयॉर्क में द्विपक्षीय बैठक भी की। उन्होंने दोनों देशों
के आपसी हितों को लेकर चर्चा की। करीब एक महीने में दोनों नेता दूसरी बार मिले। यूक्रेन के साथ वार्ता के
दौरान भारत द्वारा किए जा रहे शांति के प्रयासों को राष्ट्रपति जेलेंस्की ने सराहा। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने
‘एक्स’ पोस्ट पर कहा कि न्यूयॉर्क में राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात हुई। हम द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत
करने के लिए पिछले महीने यूक्रेन की अपनी यात्रा के परिणामों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।