पिछले महीने 8-9 दिसंबर को देहरादून में संपन्न ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में ढाई लाख करोड़ रुपए निवेश प्राप्ति का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि इसमें 3.56 लाख करोड़ रुपए के 1779 एमओयू पर हस्ताक्षर हुए।
पहाड़ी राज्य होने के बावजूद उत्तराखंड औद्योगिक विकास के प्रगति पथ पर अग्रसर है। राज्य स्थापना के तत्काल बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तराखंड को विशेष औद्योगिक पैकेज दिया था। इसके बाद उत्तराखंड में औद्योगिक निवेश तेजी से बढ़ा। राज्य के देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंहनगर जैसे जिलों में छोटे-बड़े कई उद्योग हैं लेकिन वर्तमान धामी सरकार प्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए उन्होंने कई नीतियां बनाकर उसे लागू किया है। इसमें ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट महत्वपूर्ण है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने विदेश एवं देश के कई शहरों में रोड शो भी किया।
उद्योग जगत से जुड़े लोगों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए धामी सरकार ने 30 नई नीतियां बनाई है।
पिछले महीने 8-9 दिसंबर को देहरादून में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट आयोजित किया गया था। धामी सरकार ने इस समिट से ढाई लाख करोड़ रुपए निवेश प्राप्ति का लक्ष्य रखा था लेकिन इसमें 3.56 लाख करोड़ रुपए के 1779 एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। इनमें से 44 हजार करोड़ रुपए से अधिक के एमओयू जमीन पर तेजी से कार्य शुरू हो गया है। इस समिट में ऊर्जा के क्षेत्र में 1.03 लाख करोड़ रुपए के 157 एमओयू, उद्योग में 78 हजार करोड़ रुपए के 658, पर्यटन के क्षेत्र में 47,646 करोड़ रुपए के 437 एमओयू हुए।
उत्तराखंड में उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नीतियों को और सरल बनाया गया है। राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू है। इसको और प्रभावी बनाया जा रहा है। उत्तराखंड में निवेश के लिए अपार संभावनाएं हैं। राज्य में 6 हजार एकड़ का लैण्ड बैंक बनाया गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में निवेश करने वालों के लिए और प्रोत्साहन दिया जाएगा। उत्तराखंड का प्राकृतिक सौन्दर्य और बेहतर मानव संसाधन निवेशकों को उत्तराखंड आने के लिए आकर्षित कर रहा है। राज्य में ईकोलॉजी और ईकोनॉमी में संतुलन बनाते हुए कार्य किए जा रहे हैं। प्रदेश की धामी सरकार का मानना है कि उत्तराखंड कर्मभूमि बनाने के लिए अच्छा डेस्टिनेशन है। राज्य में हवाई, रेल, रोड और रोपवे कनेक्टिविटी का तेजी से विस्तार हो रहा है।
राज्य में तीन बड़े औद्योगिक पार्क बनाए गए हैं।
“2025 तक उत्तराखंड को हर क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में लाने के प्रयास किया जा रहे हैं।” -पुष्कर धामी, मुख्यमंत्री
धामी सरकार मैदानी जिलों के साथ-साथ पर्वतीय जिलों तक उद्योग को पहुंचाना चाहते हैं। हालांकि इससे पर्यावरण को कोई नुकसान न हो, इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। राज्य में औद्योगिक विकास के लिए पिछले साल कई नई नीतियां धामी सरकार ने बनाई है। इसमें एमएसएमई नीति 2023, स्टार्टअप नीति 2023, लॉजिस्टिक्स नीति 2023, निजी औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना हेतु नीति 2023 आदि शामिल है। इन नई नीतियों को आसान एवं सभी निवेदकों के अनुकूल बनाया गया है। ये सभी नीतियां अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा आकर्षक बनाया गया है। उद्योगों के लिए लैंड बैंक के साथ - साथ आवश्यक भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने के लिए निजी औद्योगिक स्थान की स्थापना के लिए भी नीति 2023 लागू की गई है। उद्योग के लिए बनाई गई नीतियों में आॅटोमोबाइल, औषधि, कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र, पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, शिक्षा, फिल्म शूटिंग, अक्षय ऊर्जा, आयुष एवं वैलनेस, जैव प्रौद्योगिकी, हॉर्टिकल्चर एवं फ्लोरीकल्चर, हर्बल एवं एरोमेटिक, खाद्य प्रसंस्करण, नेचुरल फाइबर जैसे विषयों को शामिल किया गया है।