मोदी सरकार का मानना है कि भारत एक विकसित राष्ट्र तभी बन सकता है, जब मन-मस्तिष्क में व्याप्त गुलामी से आजादी मिल जाए। इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों के मन-मानस की आजादी को भी अपना लक्ष्य बनाया है।
पिछले वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए देशवासियों से पांच प्रण लेने को कहा था। इन प्रणों में दूसरा प्रण है, गुलामी की मानसिकता से मुक्ति। दरअसल, भारत कई शताब्दियों तक गुलाम रहा है। जिस कारण आजादी के 76 वर्ष बाद भी भारतवासियों के मन-मस्तिष्क को दासता ने जकड़ रखा है। इसी जकड़न से मुक्त होने की बात प्रधानमंत्री मोदी करते हैं। उन्होंने सिर्फ कहा ही नहीं बल्कि सरकार के स्तर पर कई कदम भी उठाये हैं। प्रधानमंत्री ने 2014 में सत्ता संभालते ही इस पर कार्य करना शुरू कर दिया था। ताकि देश से गुलामी के प्रतीकों को खत्म कर देशवासियों को अपनी संस्कृति, पौराणिक पहचान एवं इतिहास पर गौरव हो सके।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में सत्ता संभालते ही दो बड़े कार्य किये। एक काम तो ऐसा था कि उससे देशभर के लाखों युवाओं को काफी राहत मिली। यह था छात्रों एवं युवाओं को अपना प्रमाण-पत्र स्वयं प्रमाणित करने का अधिकार देना। जबकि उससे पहले इसके लिए अधिकारियों के आगे-पीछे चक्कर लगाना पड़ता था। यह सबको पता है कि पहले नौकरी, किसी शैक्षणिक संस्थान में दाखिला आदि के आवेदनों एवं सर्टिफिकेट को किसी राजपत्रित अधिकारी से प्रमाणित कराना अनिवार्य होता था। यह नियम अंग्रेजों ने बनाया था। इस नियम को खत्म कर मोदी सरकार ने युवाओं को अनावश्यक तौर पर अधिकारियों के चक्कर लगाने से मुक्त कर दिया।
ब्रिटिश काल के हजारों कानूनों का खात्मा
अंग्रेजों ने भारत पर राज करने के लिए कई कड़े कानून बनाये थे। आजादी के बाद भी ऐसे सैकड़ों कानून देश में लागू थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2014 में सत्ता संभालते ही ऐसे 1500 से ज्यादा कानूनों को खत्म कर दिया। इनमें से कई कानून तो ब्रिटिश राज में सिर्फ भारतवासियों का शोषण करने के लिए बनाये गये थे। कुछ कानून ऐसे भी थे, जो एक आजाद देश में अप्रासंगिक थे लेकिन गुलामी की मानसिकता के कारण ये कानून लागू थे।
बीटिंग रिट्रीट में बदलाव
नरेन्द्र मोदी सरकार ने गणतंत्र दिवस समारोह के समापन पर होने वाले बीटिंग रिट्रीट में कुछ बदलाव 2015 मंत किये। इस बदलाव के तहत बीटिंग रिट्रीट समारोह में भारतीय वाद्य यंत्रों को शामिल किया गया। इनमें सितार, संतूर, ढोलक और तबला की धुन सुनाई पड़ने लगी। इसमें सबसे बड़ा बदलाव पिछले वर्ष हुआ। जब इस समारोह का चर्चित क्रिश्चियन प्रेयर गीत ‘अबाइड विद मी’ को हटा दिया गया। उसकी जगह पर कवि प्रदीप के मशहूर गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ को शामिल किया गया।
द्वीपों के नामों में बदलाव
सुभाष चन्द्र बोस ने 1943 में पूरे अंडमान और निकोबार द्वीप का नाम बदलकर शहीद और स्वराज द्वीप करने का सुझाव दिया था। लेकिन आजादी के बाद से किसी सरकार ने इस पर गौर नहीं किया। लेकिन वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए इस द्वीप समूह के तीन द्वीपों के नाम बदले। इसमें रॉस आइलैंड का नाम नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वीप किया गया तो नील आइलैंड को शहीद द्वीप और हैवलॉक आइलैंड को स्वराज द्वीप का नाम दिया गया।
प्रधानमंत्री आवास सहित कई सड़कों के नाम में परिवर्तन
वर्ष 2016 से पहले दिल्ली में स्थित प्रधानमंत्री आवास 7, रेसकोर्स के नाम से जाना जाता था। लेकिन 2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री आवास का नाम बदलकर 7, लोक कल्याण मार्ग कर दिया। इसके पीछे का तर्क यही था कि प्रधानमंत्री लोगों के कल्याण के लिए काम करते हैं, इसलिए लोक कल्याण मार्ग नाम रखने से प्रधानमंत्रियों को लोक कल्याण का बोध हमेशा होता रहेगा। इससे पहले नई दिल्ली की कई सड़कों का नाम भी बदला गया था। ये सभी नाम मुगल शासकों एवं ब्रिटिश अधिकारियों के नाम पर थे। नई दिल्ली स्थित मुगल काल के सबसे क्रूर शासक औरंगजेब के नाम पर रखे गए सड़क का नाम 2015 में बदला गया। औरंगजेब रोड का नाम बदलकर देश के महान वैज्ञानिक एवं पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया। 2017 में डलहौजी रोड को दारा शिकोह रोड और कर्जन रोड का नाम भी बदला गया है। कर्जन रोड अब कस्तूरबा रोड हो गया है। 2018 में तीन मूर्ति चौक का नाम तीन मूर्ति हाइफा चौक हुआ है। फिरोज शाह कोटला स्टेडियम का नाम बदलकर पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के नाम पर किया गया।
रेल बजट को किया आम बजट में शामिल
2017 में मोदी सरकार ने अंग्रेजों के समय के एक और नियम को बदल दिया। 1924 में पहली बार रेल बजट को आम बजट से अलग पेश किया गया था। इससे पहले रेल बजट को आम बजट के साथ ही पेश किया जाता था। 1920-21 में एक्वर्थ कमेटी ने रेल बजट पर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें रेल बजट को अलग पेश करने को कहा गया था। तब से दोनों बजट अलग-अलग पेश होता रहा। नरेन्द्र मोदी सरकार ने 92 साल पुराने इस नियम को खत्म कर दिया। साथ ही सरकार ने बजट पेश करने की तारीख भी बदल दिया है। ब्रिटिश शासन के समय से बजट फरवरी महीने के अंतिम दिन पेश किया जाता था। अब पहली फरवरी को पेश किया जाता है।
राजपथ बना कर्तव्यपथ
राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक को राजपथ कहा जाता था जिसे बदल कर कर्तव्य पथ किया गया है। पहले राजपथ किंग्सवे यानी राजा का पथ था। 1911 में दिल्ली आये ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम के सम्मान में इस सड़क को किंग्सवे नाम दिया गया था। आजादी के बाद इसका हिंदी अनुवाद राजपथ किया गया था। लेकिन अब कर्तव्यपथ हो गया है।
सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा
पिछले वर्ष 23 जनवरी को महान क्रन्तिकारी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जन्म दिवस पर इंडिया गेट की ग्रैंड कैनोपी में उनके होलोग्राम प्रतिमा का उद्घाटन किया गया। अब उस स्थान पर ग्रेनाइट से बनी उनकी 28 फीट ऊंची प्रतिमा है। एक समय में इस कैनोपी में जॉर्ज पंचम की प्रतिमा लगी थी। उसे 1968 में हटाया गया था तबसे यह जगह खाली थी।
नौसेना को मिला नया ध्वज
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल 2 सितंबर को भारतीय नौ सेना के ध्वज से गुलामी के प्रतीक को हटा दिया। पहले नौसेना के ध्वज में लाल रंग का सेंट जॉर्ज क्रॉस हुआ करता था, जिसे हटा दिया गया। क्रॉस के स्थान पर छत्रपति शिवाजी महाराज की शाही मुहर से प्रेरित चिह्न लगाया गया है। इस चिन्ह के साथ ऊपर बाईं ओर तिरंगा बना है। दाहिनी ओर नीले रंग की पृष्ठभूमि वाले एक अष्टकोण में सुनहरे रंग का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चिह्न बना है और नीचे संस्कृत में ‘शं नो वरुण:’ लिखा है। अर्थात ‘जल के देवता वरुण हमारे लिए शुभ हों।’
अमर जवान ज्योति और नेशनल वॉर मेमोरियल
पिछले साल ही जनवरी में अमर जवान ज्योति को नेशनल वॉर मेमोरियल में शामिल किया गया। दरअसल, 1950 से राजपथ पर होने वाली परेड के दौरान केवल प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन की ओर से लड़ाई लड़ने वाले भारतीय शहीद सैनिकों को ही श्रद्धांजलि दी जा रही थी। आजादी के बाद शहीद हुए भारतीय सैनिकों की श्रद्धांजलि नहीं होती थी। इन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए इंडिया गेट क्षेत्र में ही नेशनल वॉर मेमोरियल बनाया गया है। इस मेमोरियल में देश के सभी शहीद हुए जवानों के नाम अंकित हैं। पिछले वर्ष से अमर जवान ज्योति को इस मेमोरियल में लाया गया। अब यहीं पर सभी सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
बिप्लवी भारत गैलरी
शहीद भगत सिंह के बलिदान दिवस 23 मार्च को पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में बिप्लवी भारत गैलरी का उद्घाटन किया। इस गैलरी में भारत के महान क्रांतिकारियों के योगदान को दिखाया गया है। इसके अलावा नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा देने पर जोर से लेकर राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन का नाम बदल कर अमृत उद्यान करना गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के लिए उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पर अपने संबोधन में कहा था, ‘ये न शुरुआत है ना ही अंत है, ये मन और मानस की आजादी का लक्ष्य हासिल करने तक निरंतर चलने वाली संकल्प यात्रा है।’
1950 से राजपथ पर होने वाले परेड के दौरान केवल प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन की ओर से लड़ाई लड़ने वाले भारतीय शहीद सैनिकों को ही श्रद्धांजलि दी जा रही थी। अब आजादी के बाद शहीद हुए भारतीय सैनिकों को भी श्रद्धांजलि दी जाती है।