चारधाम वोकल फॉर लोकल

युगवार्ता    18-May-2023   
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वोकल फॉर लोकल का जिक्र करते हुए पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बदरीनाथ धाम से देशवासियों से आग्रह किया था, ‘जहां भी जाएं एक संकल्प लें। आप यात्रा पर जितना भी खर्च करते हैं, उसका कम से कम पांच प्रतिशत वहां के स्थानीय उत्पाद खरीदने पर खर्च करें। इससे उन क्षेत्रवासियों को इतनी रोजी-रोटी मिल जाएगी, जिसकी कल्पना भी नही कर सकते।’
प्रधानमंत्री के इस आग्रह का असर पिछले साल चारधाम यात्रा में भी देखने को मिला था। इस साल इसका असर और ज्यादा होने की उम्मीद उत्तराखंड वासियों और यहां की सरकार को है। कोरोना महामारी के कारण साल 2020 और 2021 में यात्रा पूर्णत: बंद थी। जबकि उत्तराखंड खासकर गढ़वाल की आर्थिकी चारधाम यात्रा पर निर्भर है। यात्रा न होने से दो साल इस क्षेत्र के लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए थे। लेकिन पिछले साल चारधाम यात्रा पर रिकॉर्ड लाखों लोग आएं। इससे एक बार इस क्षेत्र की आर्थिकी को पंख लग गए। इसमें स्थानीय लोगों को भी काफी आर्थिक लाभ हुआ।
प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ का नारा भी यहां काफी असरदार रहा। सिर्फ केदारनाथ की ही बात करें तो इस धाम की यात्रा के दौरान विभिन्न माध्यमों से स्थानीय लोगों को रोजगार मिला। यहां के लोगों ने अपने स्थानीय उत्पाद का अच्छे ढंग से मार्केटिंग कर पाएं। साथ ही इस दौरान यहां महिला सशक्तिकरण का भी अच्छा उदाहरण देखने को मिला। पिछले साल केदारनाथ यात्रा से जुड़ी विभिन्न महिला समूहों ने स्थानीय उत्पादों से करीब 48 लाख की कमाई की। इस यात्रा में बीस महिला समूहों ने योगदान किया था। यह आंकड़ा सरकार ने जारी किये थे। विशेषज्ञों का आंकलन इससे ज्यादा का है।

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यात्रा में करीब बीस महिला समूहों ने क्षेत्र में बने विभिन्न हेलीपैड एवं मंदिर परिसर में तीर्थ यात्रियों को करीब 48 लाख का प्रसाद बेचा। यह प्रसाद स्थानीय उत्पाद से बनाये गए थे। इसमें चौलाई के लड्डू, चूरमा, शहद, हर्बल धूप, बेलपत्री, जूट एवं रेशम के बैग बनाये गए। गंगा जल के लिए पात्र एवं मंदिर की भस्म भी प्रसाद का हिस्सा था। तब राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के ब्लॉक समन्वयक सतीश सकलानी ने बताया था, ‘देवीधार उन्नति क्लस्टर ने यात्रा में आॅनलाइन एवं आॅफलाइन माध्यम से प्रसाद बेचकर करीब 42 लाख रुपये कमाए हैं।’
केदारनाथ प्रसाद उत्पादक फेडरेशन के अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह सजवाण कहते हैं, ‘पिछले साल उन्होंने करीब 50 क्विंटल चौलाई के लड्डू एवं चूरमा तैयार कर केदारनाथ में बेचा था। तब 60 महिलाओं को रोजगार दिया था। हमने पिछले साल ही 100 क्विंटल चौलाई खरीदने का लक्ष्य रखकर किसानों को उत्पादन के लिए कह दिया था। इस वर्ष हमने पिछले साल से तैयारी ज्यादा की है। अभी मौसम साथ नहीं दे रहा है। लेकिन श्रद्धालुओं में कोई कमी नहीं है। हमें उम्मीद है कि हम लोग पिछले वर्ष की तुलना में इस साल ज्यादा प्रसाद बेचेंगे।’
प्रशासन की ओर से भी तैयारी इस बार की गई है। इस बार प्रसाद की पैकिंग पॉलिथीन में नहीं बल्कि कागज के बैग (ब्राउन वेक्स कोटेड पेपर) में किया जा रहा है। यात्रा शुरू होने से पहले ही रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने प्रसाद की गुणवत्ता एवं एक समान पैकिंग को लेकर भारतीय पैकेजिंग संस्थान और महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ चर्चा की थी। इस बैठक में भारतीय पैकेजिंग संस्थान की सलाह पर प्रसाद कागज के बैग देने का निर्णय लिया गया। इससे पर्यावरण को भी फायदा होगा। प्रसाद के पैकिंग बैग पर संस्था का नाम, पता का बार कोड लिखा गया है।
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गुंजन कुमार

गुंजन कुमार (ब्‍यूरो प्रमुख)
प्रिंट मीडिया में डेढ़ दशक से ज्‍यादा का अनुभव। 'दैनिक हिंदुस्तान' से पत्रकारिता का प्रशिक्षण प्राप्त कर 'हरिभूमि' में कुछ समय तक दिल्ली की रिपोर्टिंग की। इसके बाद साप्ताहिक 'दि संडे पोस्ट' में एक दशक से ज्यादा समय तक घुमंतू संवाददाता के रुप में काम किया। कई रिपोर्टों पर सम्मानित हुए। उसके बाद पाक्षिक पत्रिका 'यथावत' से जुड़े। वर्तमान में ‘युगवार्ता’ पत्रिका में बतौर ब्‍यूरो प्रमुख कार्यरत हैं।