प्रयागराज में दहशत का पर्याय रहा माफिया अतीक अहमद के लिए 13 अप्रैल का दिन उसके जीवन का सबसे ज्यादा दहशत भरा रहा। एक तरफ उमेश पाल हत्याकांड में यूपी पुलिस को उसकी सात दिन की रिमांड मिली तो दूसरी तरफ एनकाउंटर में बेटे की मारे जाने की खबर उसे मिली। उसके लिए यह दोहरा झटका रहा। खबर सुनते ही उसके होश फाख्ता हो गये। पिछले लगभग डेढ़ महीने से यूपी पुलिस के साथ आंख मिचौली खेल रहे उमेश पाल के हत्यारे असद व गुलाम को यूपी एसटीएफ ने अंतत: मिट्टी में मिला दिया। 20 मिनट तक हुई 42 राउंड फायरिंग में दोनों हत्यारे ढेर हो गए।
उल्लेखनीय है कि 24 फरवरी को उमेश पाल की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। उमेश पाल हत्याकांड के बाद असद और गुलाम सबसे पहले बाइक पर बैठकर कानपुर पहुंचे थे। कानपुर से दोनों ने बस ली और नोएडा डीएनडी पर उतरे। नोएडा डीएनडी पर पहले से ही दोनों के कई साथी मौजूद थे। वे दोनों को आॅटो से दिल्ली के संगम विहार लेकर गए। संगम विहार में असद और गुलाम 15 दिन तक रुके। दिल्ली में दो हफ्ते से ज्यादा वक्त बिताने के बाद दोनों अजमेर पहुंचे। अजमेर में भी दोनों कुछ दिन रुके। अजमेर से दोनों झांसी चले आए।
झांसी में अतीक अहमद के कई करीबियों के होने की जानकारी यूपी एसटीएफ को मिली थी। इसके बाद पुलिस टीम ने झांसी से दो मददगारों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की थी। बताया जा रहा है कि झांसी में अतीक अहमद के पुराने करीबियों ने ही असद और गुलाम को पनाह दी थी। यूपी एसटीएफ ने 2 अप्रैल को अतीक अहमद के जीजा अखलाक को मेरठ से गिरफ्तार किया था। अखलाक को शूटरों को छिपाने और भागने में मदद करने के इल्जाम में गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जावेद, खालिद और जीशान नाम के बदमाशों को पकड़ा था। खालिद और जीशान ने पूछताछ में खुलासा किया था कि उन्होंने असद और गुलाम को पनाह दी थी। वहीं, जावेद को 30 मार्च को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। उसने भी बताया था कि उमेश पाल की हत्या के बाद असद और गुलाम से उसने मुलाकात की थी। हत्याकांड के बाद कई दिनों तक असद दिल्ली में ही छिपा था। दिल्ली से ही उसका साथी मेरठ गया था। उसने मेरठ से पैसे लाकर असद को दिए थे।
जरायम की दुनिया में असद को केवल अपने पिता अतीक का ही नहीं बल्कि चाचा अशरफ का भी पूरा साथ मिला। वो अपने चाचा का चहेता था। कई बार वो शादी समारोहों में अशरफ के साथ ही जाता था। इतना ही नहीं चाचा अपने भतीजे को फायरिंग करने के लिए असलहा भी देता था। इलाके में ऐसी चर्चाएं होती ही रहती थीं कि असद अपने चाचा अशरफ के नक्शेकदम पर चलता है।
समाजवादी पार्टी प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अतीक अहमद के बेटे असद अहमद के 'एनकाउंटर' को झूठा बताया और ट्वीट किया कि झूठे एनकाउंटर करके भाजपा सरकार सच्चे मुद्दों से ध्यान भटकाना चाह रही है। भाजपाई न्यायालय में विश्वास ही नहीं करते हैं। आज के और हालिया एनकाउंटरों की भी गहन जांच-पड़ताल हो व दोषियों को छोड़ा न जाए। सही-गलत के फैसलों का अधिकार सत्ता का नहीं होता है। भाजपा भाईचारे के खिलाफ है।
अखिलेश के बयान पर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘समाजवादी पार्टी चाहती है कि पुलिस के जवान बलि चढ़ जाएं। उमेश पाल की सुरक्षा में लगे दो जवानों को हम खो चुके हैं, उनको खोने के बाद पुलिस के जवानों को बलि देना पड़े ये सही नहीं है। अपराधियों को पकड़ने के लिए जो कार्रवाई करनी पड़े हम करेंगे।’
वहीं, असद अहमद और शूटर गुलाम मोहम्मद के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद उमेश पाल की पत्नी ने कहा, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने इतने बड़े फैसले को अंजाम दिया है। उन्होंने अपनी बेटी के सुहाग के कातिलों को सजा दिलाई। मैं उनका बार-बार आभार करती हूं। वे पिता समान हैं। इंसाफ तो हुआ है, मैं मांग करती हूं कि आगे भी इंसाफ हो। पुलिस का इसमें बहुत सहयोग रहा। मैंने मुख्यमंत्री जी पर सब कुछ छोड़ा है, वे जो कुछ भी करेंगे, सही करेंगे। हमें प्रशासन पर पूरा भरोसा है।
वहीं, एआईएमआईएम चीफ और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने असद एनकाउंटर पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘भाजपा महजब के नाम पर एनकाउंटर करती है। कोर्ट और जज किस लिए हैं? अदालतों को बंद कर दो। क्या भाजपा वाले जुनैद और नासिर के मारने वालों को भी गोली मारेंगे, नहीं क्योंकि ये मजहब के नाम पर एनकाउंटर करते हैं। ये एनकाउंटर नहीं कानून की धज्जियां उड़ रही है। अगर गोली, से इंसाफ होगा तो फिर अदालतों को बंद कर दो।