गत 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती पर ‘मेरी माटी मेरा देश’ कार्यक्रम के जरिये आजादी का अमृत महोत्सव का समापन हुआ। साथ ही 'मेरा युवा भारत'- माय भारत के जरिये अमृत काल की एक नई यात्रा का आरंभ हुआ।
कर्तव्य पथ पर 31 अक्टूबर, 2023 को सरदार पटेल की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी का अमृत महोत्सव का समापन किया। गौरतलब है कि भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर पिछले दो साल से देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महात्मा गांधी की दांडी यात्रा से प्रेरित होकर आजादी का अमृत महोत्सव का शुभारंभ 12 मार्च, 2021 को किया था। यह महोत्सव 'मेरी माटी मेरा देश' अभियान की कलश यात्रा के साथ संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने अमृत वाटिका और अमृत महोत्सव स्मारक की आधारशिला रखी और देश के युवाओं को देश के विकास से जोड़ने के लिए 'मेरा युवा भारत'- माय भारत प्लेटफॉर्म की शुरुआत की।
प्रधानमंत्री ने दांडी मार्च यात्रा से आजादी का अमृत महोत्सव की तुलना करते हुए कहा कि जिस तरह दांडी मार्च में हर भारतीय की भागीदारी देखी गई, उसी तरह आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम में भी लोगों की रिकॉर्ड भागीदारी देखने को मिली। प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा, ‘दांडी मार्च ने आजादी की लौ को फिर से प्रज्वलित किया, जबकि अमृत काल भारत की 75 साल पुरानी विकास यात्रा का संकल्प बन रहा है।’ अमृत महोत्सव स्मारक आने वाली पीढ़ियों को आज के ऐतिहासिक संगठन की याद दिलाएगा। जब हम एक भव्य उत्सव को अलविदा कह रहे हैं, तब हम ‘माय भारत’ के साथ एक नए संकल्प की शुरुआत कर रहे हैं। 'माय भारत भारत की युवा शक्ति का उद्घोष है। 21वीं सदी में ‘माय भारत’ संगठन राष्ट्र निर्माण में बड़ी भूमिका निभाएगा।'' प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि यह देश के प्रत्येक युवा को एक मंच पर लाने और राष्ट्र निर्माण की दिशा में अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने का एक बड़ा माध्यम बनेगा। उन्होंने युवाओं के लिए चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों को इस प्लेटफॉर्म पर शामिल किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं से आग्रह किया कि वे ज्यादा से ज्यादा इससे जुड़ें, भारत को नई ऊर्जा से भरें और देश को आगे बढ़ाएं।
भारतीय युवाओं की शक्ति के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मेरी माटी मेरा देश अभियान इस बात का जीवंत उदाहरण है कि भारत का युवा संगठित होकर कैसे हर लक्ष्य प्राप्त कर सकता है।’ देश के कोने-कोने से अनगिनत युवाओं की भागीदारी का उल्लेख करते हुए कहा कि पूरे देश से 7500 अमृत कलश कर्तव्य पथ पर पहुंचे और करोड़ों भारतीयों ने पंच प्राण की प्रतिज्ञा ली है और इस अभियान की वेबसाइट पर अपनी सेल्फी अपलोड की है।
आजादी का अमृत महोत्सव के समापन के लिए 'मेरी माटी मेरा देश' अभियान में मिट्टी को एक तत्व के रूप में क्यों इस्तेमाल किया गया, इसके बारे में भी उन्होंने बताया। एक कवि की कविता को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि यह उस भूमि की मिट्टी है जहां सभ्यताएं फली-फूली हैं, मानव जाति ने प्रगति की और यह उस युग की छाप रखती है। भारत की मिट्टी में चेतना है। इसमें एक जीवन रूप है जिसने सभ्यता के पतन को रोका है। कैसे विश्व की अनेक सभ्यताएं नष्ट हो गईं, जबकि भारत अभी भी मजबूती से खड़ा है। अपनी मातृभूमि के लिए हमारे वीर स्वतंत्रता सेनानियों ने हंसते-हंसते अपने प्राणों की बलि दे दी। जीवन की सार्थकता इसी में है। वह जीवन ही क्या है जो मातृभूमि का ऋण नहीं चुका पाए। हमारे देश का प्रत्येक नागरिक मातृभूमि की मिट्टी से गहराई से जुड़ा हुआ है। दिल्ली पहुंचे हजारों अमृत कलशों की मिट्टी सभी को कर्तव्य की भावना की याद दिलाएगी और प्रत्येक को विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए प्रेरित करेगी। देशभर से आए पौधों को लेकर स्थापित की जाने वाली अमृत वाटिका आने वाली पीढ़ी को 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के बारे में बताएगी।
“आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान, देश ने राजपथ से कर्तव्य पथ तक की यात्रा पूरी की है। इस दौरान हमने गुलामी के कई प्रतीकों को भी हटा दिया। इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष बोस की प्रतिमा, नौसेना के नए प्रतीक चिन्ह, अंडमान और निकोबार के द्वीपों के प्रेरक नाम, जनजातीय गौरव दिवस की घोषणा, साहिबजादे की स्मृति में वीर बाल दिवस और हर साल 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस मनाने संबंधी निर्णय उल्लेखनीय है।”
करीब 1000 दिनों तक चले आजादी का अमृत महोत्सव का सबसे सकारात्मक प्रभाव भारत की युवा पीढ़ी पर पड़ा है। जो युवा पीढ़ी स्वतंत्रता आंदोलन से अनभिज्ञ थी, अमृत महोत्सव ने एक प्रकार से इतिहास के छूटे हुए पन्नों को आने वाली पीढ़ियों से जोड़ा है। इस दौरान पूरे भारत में 65,000 से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण हुआ है। भारत के लोगों ने अमृत महोत्सव को जन आंदोलन बनाया। इस महोत्सव से लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में अपने परिवारों और गांवों के योगदान के बारे में पता चला है। महोत्सव के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों का जिलावार डेटाबेस बनाया गया है।
आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान, देश ने राजपथ से कर्तव्य पथ तक की यात्रा पूरी की है। इस दौरान हमने गुलामी के कई प्रतीकों को भी हटा दिया। इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष बोस की प्रतिमा, नौसेना के नए प्रतीक चिन्ह, अंडमान और निकोबार के द्वीपों के प्रेरक नाम, जनजातीय गौरव दिवस की घोषणा, साहिबजादे की स्मृति में वीर बाल दिवस और हर साल 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस मनाने संबंधी निर्णय उल्लेखनीय है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने शीर्ष प्रदर्शन करने वाले तीन राज्यों या केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ मंत्रालयों या विभागों को आजादी का अमृत महोत्सव पुरस्कार भी प्रदान किए और बधाई दी। शीर्ष प्रदर्शन करने वाले तीन राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, गुजरात तथा संयुक्त रूप से हरियाणा और राजस्थान तीसरे स्थान के लिए हैं, जबकि शीर्ष प्रदर्शन करने वाले तीन मंत्रालय- विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और तीसरे स्थान पर संयुक्त रूप से रेल मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय हैं।
इस मौके पर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर और केन्द्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी के अलावा कई अन्य लोग उपस्थित थे।
कार्यक्रम का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की आजादी प्रत्येक नागरिक के सामान्य संकल्पों की पूर्ति है और एकता के साथ इसकी रक्षा करने का आग्रह किया। उन्होंने 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के संकल्प का जिक्र करते हुए कहा कि आजादी के 100 साल पूरे होने पर देश इस खास दिन को याद रखेगा। उन्होंने अंत में कहा, ‘विकसित देश बनने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रत्येक भारतीय का योगदान महत्वपूर्ण है। आइए, हम अमृत महोत्सव के माध्यम से विकसित भारत के अमृत काल की एक नई यात्रा शुरू करें।’
मेरी माटी मेरा देश
मेरी माटी मेरा देश अभियान उन वीरों और वीरांगनाओं को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया। इस अभियान की टैग लाइन है - ‘माटी को नमन, वीरों का वंदन’। इस अभियान के जरिये देश भर के पंचायत/गांव, ब्लॉक, शहरी स्थानीय निकाय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित अनेक कार्यक्रम और समारोह हुए। कार्यक्रमों में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सभी बहादुरों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करने के लिए शिलाफलकम (स्मारक) का निर्माण शामिल था; शिलाफलकम में लोगों द्वारा 'पंच प्राण' प्रतिज्ञा लेना; स्वदेशी प्रजातियों के पौधे लगाना और 'अमृत वाटिका' (वसुधा वंदन) विकसित करना और स्वतंत्रता सेनानियों और दिवंगत स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों (वीरों का वंदन) के सम्मान के लिए अभिनंदन समारोह शामिल थे। 36 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में 2.3 लाख से अधिक शिलाफलकमों के निर्माण के साथ यह अभियान सफल रहा; लगभग 4 करोड़ पंच प्राण प्रतिज्ञा सेल्फी अपलोड की गईं; देश भर में 2 लाख से अधिक 'वीरों का वंदन' कार्यक्रम; 2.36 करोड़ से अधिक स्वदेशी पौधे लगाए गए और देशभर में वसुधा वंदन थीम के तहत 2.63 लाख अमृत वाटिकाएं बनाई गईं। 'मेरी माटी मेरा देश' अभियान में अमृत कलश यात्रा भी शामिल थी। जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों के 6 लाख से अधिक गांवों और शहरी क्षेत्रों के वार्डों से मिट्टी और चावल के दानों का संग्रह किया गया, जिसे ब्लॉक स्तर (जहां ब्लॉक के सभी गांवों की मिट्टी को मिलाया गया) और फिर राज्य की राजधानी तक भेजा गया। राज्य स्तर से हजारों अमृत कलश यात्रियों के साथ मिट्टी राष्ट्रीय राजधानी भेजी गई। सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने अपने संबंधित ब्लॉकों और शहरी स्थानीय निकायों का प्रतिनिधित्व करते हुए 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की भावना में अपने कलश से मिट्टी को एक विशाल अमृत कलश में डाला। देश के हर हिस्से से एकत्र की गई मिट्टी से अमृत वाटिका और अमृत महोत्सव स्मारक बनाया जाएगा।
क्या है माय भारत
'मेरा युवा भारत'- माय भारत देश के युवाओं के लिए एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो एक ही स्थान पर संपूर्ण-सरकारी मंच के रूप में सेवा करने के लिए एक स्वायत्त निकाय के रूप में कार्य करेगा। इसके जरिये प्रधानमंत्री की कल्पना के अनुसार, देश के प्रत्येक युवा को समान अवसर प्रदान किया जाएगा। माय भारत सरकार के सभी योजनाओं को एक सक्षम तंत्र प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाएगा ताकि युवा अपनी आकांक्षाओं को साकार कर सकें और 'विकसित भारत' के निर्माण में योगदान दे सकें। माय भारत का उद्देश्य युवाओं को सामुदायिक परिवर्तन एजेंट और राष्ट्र निर्माता बनने के लिए प्रेरित करना और उन्हें सरकार और नागरिकों के बीच 'युवा सेतु' के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाना है। इस तरह 'मेरा भारत' देश में 'युवा नेतृत्व के विकास' को प्रोत्साहन देगा।