खालिस्तानी प्रेम में ट्रूडो

युगवार्ता    07-Oct-2023   
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Modi-Trudo
कनाडा और भारत का संबंध खालिस्तान समर्थन के कारण प्रभावित हो रहा है। प्रधानमंत्री ट्रूडो कई बार खुलकर खालिस्तान के समर्थन में प्रेमपूर्ण बयान दे चुके हैं। इसका सबसे बड़ा कारण उनका खालिस्तान जनमत संग्रह का समर्थन करने वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ गठबंधन है।
भारत-कनाडा संबंध अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। इसमें वर्तमान कनाडाई सत्ता की भूमिका अहम है। ऐसा भी नहीं है कि कनाडा और भारत का संबंध हमेशा मधुर एवं मजबूत रहे हों। लेकिन वर्तमान स्थिति तक कभी पहुंची भी नहीं थी। कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अपने शासनकाल में कनाडा की जमीं से भारत विरोधी गतिविधियों को औपचारिक एवं अनौपचारिक समर्थन देते रहे हैं। भारत ने कनाडा के सामने कई बार विरोध दर्ज कराया है लेकिन इसे ट्रूडो सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया। यहां तक कि भारत ने कई सबूत भी कनाडा को सौंपे पर उसे भी नजरअंदाज कर दिया गया। इसके उलट प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की एजेंसियों का हाथ बताकर दोनों देशों से तनावपूर्ण संबंधों को और गहरा दिया। अंतरराष्ट्रीय संबंधों के जानकारों का मानना है कि अब कनाडा में सत्ता परिवर्तन के बाद ही दोनों देशों के आपसी संबंधों पर पड़ी बर्फ पिघल सकती है।
भारत अपनी ओर से कनाडा के साथ तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने का लगातार पहल करता रहा है। इसका सबसे बड़ा संकेत तो भारत ने जी 20 की बैठक के दौरान ही दिया था। बैठक के बाद जब सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष वापस जा रहे थे तो ट्रूडो के विमान में खराबी आ गई थी। उन्हें दो दिन तक दिल्ली में ही रुकना पड़ा था। उस वक्त भारत ने ट्रूडो को अपना विमान देने का प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया था। यही नहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों से कह चुके हैं कि कनाडा अपने आरोप का सबूत हमें दें भारत पूर्ण सहयोग करेगा। लेकिन अभी तक जस्टिन ट्रूडो अपने आरोप के समर्थन में कोई सबूत पेश नहीं कर पाए हैं। इसी से इस बात को बल मिलता है कि उनके आरोपों में गंभीरता न के बराबर है। एक राष्ट्राध्यक्ष को किसी देश पर इतने गंभीर आरोप बिना किसी आधार एवं ठोस सबूत के लगाना सही नहीं है।
आधारहीन आरोप का ही नतीजा है कि ट्रूडो अपने ही देश में अलोकप्रिय होने लगे हैं। कनाडाई नेता और पत्रकार उन पर लगातार हमला कर रहे हैं। जब उनसे भारत ने सबूत मांगे तो नहीं दिए। उनके नेताओं और पत्रकारों ने मांगा तो नहीं दिया। पिछले दिनों उन्होंने कहा, ‘मैंने जो कहा था उससे जुड़े विश्वसनीय कारण कनाडा ने भारत के साथ कई सप्ताह पहले साझा किए थे।’ जब लोग उनसे सबूत मांग रहे हैं तो वे कारण गिना रहे हैं। इससे ट्रूडो अपने ही देश में घिर गए हैं। ब्रिटिश कोलंबिया के प्रीमियर (मुख्यमंत्री के समकक्ष) डेविड एबे ने मीडिया से बात करते हुए जस्टिन के सबूतों को हलका बताया। उन्होंने कहा, जो सबूत उन्होंने दिए वह सर्व सुलभ है। उनकी दी जानकारी तो इंटरनेट पर पहले से उपलब्ध है।' वहीं कनाडा के वरिष्ठ पत्रकार डैनियल बॉर्डमैन इसके पीछे चीन का हाथ मानते हैं।

Mata Mandir Canada 
उनका मानना है कि ट्रूडो ने भारत के साथ जो विवाद शुरू किया है उसके पीछे चीन का बड़ा हाथ है। अभी कनाडा में चीन का हस्तक्षेप बढ़ रहा है। यहां के अधिकतर लोग इसे एक बड़ा खतरा मानते हैं। ट्रूडो की लिबरल पार्टी को चुनावों में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से मदद मिल रही थी। इसकी जांच की आवश्यकता है। सिर्फ कनाडा में ही नहीं बल्कि उनके मित्र देश से भी जस्टिन को पूर्ण समर्थन नहीं मिल रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि कनाडा के आरोप में तनिक भी सच्चाई नहीं है। अमेरिका में भी लोगों को इसमें राजनीति की बू आ रही है। पेंटागन के पूर्व अधिकारी और अमेरिकन एंटरप्राइजेज इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो माइकल रुबिन बताते हैं, 'मुझे नहीं लगता कि कनाडा के सहयोगी देश जस्टिन ट्रूडो की थ्योरी से सहमत हैं। इसका कारण है ट्रूडो का इस मामले में अलग-थलग पड़ना। जमाल खाशोगी की इंस्तांबुल में जब हत्या हुई थी तो तुर्की ने सऊदी अरब पर आरोप लगाते हुए कई अहम सबूत दिए थे। दुनिया ने उसके सबूतों पर विश्वास किया था। उस कारण सऊदी अरब की दुनियाभर में आलोचना हुई थी। लेकिन जस्टिन ट्रूडो ने बिना सोचे समझे आरोप लगा दिया है। वह अब तक कोई सबूत नहीं दे पाएं हैं। जब ट्रूडो कहते हैं कि उन पर विश्वास कीजिए तो कोई भी उन पर विश्वास नहीं करता। यह सब कुछ चुनाव प्रचार के लिए हो रहा है। जिसमें ट्रूडो हारते दिख रहे हैं। यही वजह है कि अमेरिका समेत फाइव आइज देश भी इस मुद्दे पर खुलकर कनाडा का साथ नहीं दे रहे हैं।'
ट्रूडो जिस खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगा रहे हैं, अब उस पर कई तरह के खुलासे हो रहे हैं। पहला, हत्या के चश्मदीद के मुताबिक निज्जर पर करीब 50 गोली मारी गई थी। इतनी अधिक गोली मारकर हत्या करना आपसी खुंदक या फिर आपसी दुश्मनी में ही की जाती है। यही अब कहा भी जा रहा है। कनाडा में खालिस्ता नी गुटों के बीच अपने वर्चस्व की लड़ाई कुछ समय से तेज हो गयी है। इस वर्चस्व के लिए गैंगवॉर को बढ़ावा दिया जा रहा है। निज्जर के परिवार ने कहा भी है कि उसे कई बार जान से मारने की धमकी दी गई थी। भारत भी कई बार कनाडा में गैंगवार को लेकर ट्रूडो सरकार को खुफिया जानकारी देता रहा है। लेकिन कनाडा हर बार सबूतों की विश्वसनीयता का हवाला देते हुए इसे खारिज करता रहा। माना जाता है कि ये गैंगेस्टर कनाडा में खालिस्तान समर्थक गुर्गों के साथ मिलकर काम करते हैं। इसके बदले में उन्हें भारत से बाहर जाने और विदेशी भूमि से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पैसा मुहैया कराया जाता है। भारत में प्रतिबंधित खालिस्तान समर्थक समूह सिख फॉर जस्टिस इन गैंगस्टरों की मदद करता है।
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गुंजन कुमार

गुंजन कुमार (ब्‍यूरो प्रमुख)
प्रिंट मीडिया में डेढ़ दशक से ज्‍यादा का अनुभव। 'दैनिक हिंदुस्तान' से पत्रकारिता का प्रशिक्षण प्राप्त कर 'हरिभूमि' में कुछ समय तक दिल्ली की रिपोर्टिंग की। इसके बाद साप्ताहिक 'दि संडे पोस्ट' में एक दशक से ज्यादा समय तक घुमंतू संवाददाता के रुप में काम किया। कई रिपोर्टों पर सम्मानित हुए। उसके बाद पाक्षिक पत्रिका 'यथावत' से जुड़े। वर्तमान में ‘युगवार्ता’ पत्रिका में बतौर ब्‍यूरो प्रमुख कार्यरत हैं।